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25 Jul 2019 · 1 min read

श्रमिक

श्रमिक

उस श्रमिक का
चोटी से चला पसीना
तय करके सफर
पूरे बदन का
पहुंचा एड़ी तक
मिले चंद रुपए

उसकी मेहनत पर
किसी ने
दलाली कमाई
किसी ने
आढ़त कमाई
चमकीले चेहरों ने
की मसहूरी
चला लाखों का व्यापार
श्रमिक रहा
जस का तस
दब गया बन कर
अर्थव्यवस्था की
नींव की ईंट

-विनोद सिल्ला©

Language: Hindi
1 Like · 185 Views
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