Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 May 2024 · 1 min read

श्रमिक

श्रमिक दिवस……
******************
माथे चंदन
प्रत्येक मज़दूर
कोटि वंदन।

सहता पीर
श्रमिक जिगर में
धरता धीर।

मेहनत है लाठी
मजबूत है काठी
परिश्रम है दस्तूर
श्रमिक मज़दूर।
नीलम शर्मा ✍️

1 Like · 104 Views

You may also like these posts

हमने एक बात सीखी है...... कि साहित्य को समान्य लोगों के बीच
हमने एक बात सीखी है...... कि साहित्य को समान्य लोगों के बीच
DrLakshman Jha Parimal
एक लम्हा
एक लम्हा
हिमांशु Kulshrestha
प्रतिक्रांति के दौर में
प्रतिक्रांति के दौर में
Shekhar Chandra Mitra
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
# कुछ देर तो ठहर जाओ
# कुछ देर तो ठहर जाओ
Koमल कुmari
लेकिन क्यों ?
लेकिन क्यों ?
Dinesh Kumar Gangwar
सच्चे कवि और लेखक का चरित्र।
सच्चे कवि और लेखक का चरित्र।
Priya princess panwar
हमने गुजारी ज़िंदगी है तीरगी के साथ
हमने गुजारी ज़िंदगी है तीरगी के साथ
Dr Archana Gupta
तेज़ाब का असर
तेज़ाब का असर
Atul "Krishn"
आदमी
आदमी
सिद्धार्थ गोरखपुरी
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
पूर्वार्थ
हर वक़्त सही है , गर ईमान सही है ,
हर वक़्त सही है , गर ईमान सही है ,
Dr. Rajeev Jain
यह आशामय दीप
यह आशामय दीप
Saraswati Bajpai
*जानो तन में बस रहा, भीतर अद्भुत कौन (कुंडलिया)*
*जानो तन में बस रहा, भीतर अद्भुत कौन (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*मेरी गुड़िया सबसे प्यारी*
*मेरी गुड़िया सबसे प्यारी*
Dushyant Kumar
चांद सितारों सी मेरी दुल्हन
चांद सितारों सी मेरी दुल्हन
Mangilal 713
बुंदेली दोहे- गुचू-सी (छोटी सी)
बुंदेली दोहे- गुचू-सी (छोटी सी)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
किसी महिला का बार बार आपको देखकर मुस्कुराने के तीन कारण हो स
किसी महिला का बार बार आपको देखकर मुस्कुराने के तीन कारण हो स
Rj Anand Prajapati
छुअन..
छुअन..
Vivek Pandey
कभी-कभी खामोशी की,
कभी-कभी खामोशी की,
अनिल "आदर्श"
यादों के जंगल में
यादों के जंगल में
Surinder blackpen
हमेशा सच बोलने का इक तरीका यह भी है कि
हमेशा सच बोलने का इक तरीका यह भी है कि
Aarti sirsat
मुक्तक
मुक्तक
sushil sarna
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ये और मैं
ये और मैं
Sakhi
"अब शायद और मज़बूत होगा लोकतंत्र व संविधान। जब सदन की शोभा बढ
*प्रणय*
3538.💐 *पूर्णिका* 💐
3538.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
यूं आसमान हो हर कदम पे इक नया,
यूं आसमान हो हर कदम पे इक नया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आंधियों में गुलशन पे ,जुल्मतों का साया है ,
आंधियों में गुलशन पे ,जुल्मतों का साया है ,
Neelofar Khan
नया है रंग, है नव वर्ष, जीना चाहता हूं।
नया है रंग, है नव वर्ष, जीना चाहता हूं।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...