श्रद्धा के फूल
श्रद्धा के फूल
(एक पत्र)
दोस्तो …
हम हैं फूल ,श्रद्धा के फूल
तुम्हारे अपने ही दोस्त ,
प्यार का प्रतीक ,खुश्बू से भरपूर
प्रेमिका को देते,मिलती खुशी ।
पर हमारी खुशी का क्या ?
जब दिल आया तोड़ दिया
पसंद आया तो सजा दिया
नहीं तो पैरों तले रौंद दिया।
तुम केवल अपना सोचते हो
हमारा क्या ?
खिलने से पूर्व कच्ची कली को ही …..
दुख नहीं होता तुम्हे
किस बेदर्दी से खींच लेते हो
माँ के आँचल से
छीन लेते हो हमारी साँसे
लगाते हो किसी के बालों में
सजा देते हो जहाँ दिल चाहे।
खिलने से पूर्व ही हो जाता है हमारा अंत
क्या टिकेगी तुम्हारी खुशी ?
क्या रहेगी हममें खुश्बू ?
क्या महकेगा फिर चमन?
कभी पास हमारे आकर बैठो
कभी हमें सहला कर देखो
खुश्बू को मन में बसाओ
स्वर्ग का आनंद पाओ।
तब नहीं तोड़ हमें पाओगे
हममें जीवन की साँस पाओगे
हमें जीवन दें खुद पर इतराओगे
फिर
खिला देख हर रोज मुस्कुराओगे।
पर एक बात याद रखना
हम श्रद्धा के फूल हैं
जीवन हमारा समर्पण के लिए है
हम तो मर कर भी खुशबू देते हैं।
अगर तोड़ना ही है
तो प्रभु के चरणों में हमें अर्पित करो
शहीद की याद में तिरंगे पर चढ़ाओ
सुख या दुख जरूरत पर ही हमें तोड़ो
हमारी सार्थकता को समझो ।
हम प्रतीक है तुम्हारी श्रद्धा के
हम अर्चना है तुम्हारी पूजा के
हम समर्पण हैं देशभक्ति के
हमारी श्रद्धा का सम्मान करो।
तुम्हारे दोस्त
फूल ही फूल