” श्रद्धा के दो फूल “
गीत
बिगड़ी बात बने है पल में ,
पा जायें हम कूल !!
शरणागत हों लिये हाथ में ,
श्रद्धा के दो फूल !!
चंचल मन निर्मलता पाये ,
साधे सधे निशाने !
हाथ भले माला , ना मनका ,
जीव जगत को जानें !
आग जला ना पाये पग को ,
चाहे धधके चूल !!
तेरा – मेरा , पीछा छोड़े ,
मोह पाश भी टूटे !
एक सहारा भर मिल जाये ,
अवलंबन सब छूटे !
लगे लगन यों , बाँह पसारे ,
सब कुछ जायें भूल !!
चिंतन , मनन और जागरण ,
सदा सर्वदा आगे !
सोने में कुछ बीत गये पल ,
बाकी स्वर्ण सुहागे !
बहुतेरी सी चूक हो गई ,
दोहराये ना भूल !!
महकें पल जीवन के ऐसे ,
सुधबुध ही खो जाये !
हर दिल से नाता ऐसा हो ,
छवि उसकी हम पायें !
पलने में हम उसे झुलायें ,
चढ़ें चरण ज्यों धूल !!
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )