श्याम तुम्हारे विरह की पीड़ा भजन अरविंद भारद्वाज
श्याम तुम्हारे विरह की पीड़ा
नयन तरस गए किसे बताऊँ, कैसे मिलने आऊँ
श्याम तुम्हारे विरह की पीड़ा, किसको आज सुनाऊँ ।।
समझ नहीं पाता हर कोई, भक्ति भाव का नाता
झेल रहा हूँ मन की पीड़ा, तरस नहीं कोई खाता
घर में बूढ़े-बड़ों की सेवा, किसको सौंप के आऊँ
श्याम तुम्हारे विरह की पीड़ा, किसको आज सुनाऊँ ।।
कई बार कोशिश की मैंने, साहस बहुत दिखाया
अपना पराया छोड़ के बाबा, दर तक तेरे आया
भीड़ देखकर लौट गया मैं, किसको आज बताऊँ
श्याम तुम्हारे विरह की पीड़ा, किसको आज सुनाऊँ ।।
कामकाज मेरे घर पर इतने, जाते नहीं संवारे
श्याम साँवरा सबको संभाले, मन के जो है हारे
अरविंद लिखता भजन ये तेरा,आज मैं उसको गाऊँ
श्याम तुम्हारे विरह की पीड़ा, किसको आज सुनाऊँ ।।
© अरविंद भारद्वाज