#ग़ज़ल-01
?ग़ज़ल?
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दिल जो कहता हो वही काम कीजिए
फिर नाज़ खुदी पर सुबह शाम कीजिए/1
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आँखों में चाहत हँसी लबों पर रहे
शाद ज़ीस्त को यूँ सरे-आम कीजिए/2
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प्यार इबादत रख दिले-तसव्वुर खिला
फ़लसफ़ा बना ये एहतराम कीजिए/3
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शौक़ सादगी का दिल को ईनाम है
फ़िदा इसी पर हो इसे ज़ाम कीजिए/4
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‘प्रीतम’ चाहत का जला दीप प्यार से
रोशन कर हर दिल वफ़ा नाम कीजिए/5
??आर.एस.’प्रीतम’??