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12 Jun 2023 · 1 min read

शोहरत

जो लांघ चुके थे शोहरत की दहलीज़
वो फैला अपने पंख
आसमाँ में उड़ने लग गए थे
हवा बह रही थी ऊँचाइयों की
तो वो हवा में बहने लग गये थे
जो आया एक तूफ़ाँ
तो साये की तलाश में
खुले आसमाँ में
छत ढूँढने लग गये थे
वो जो संभल गए थे ज़मी पर
वो पैरों पर चलने लग गए थे
@संदीप

Language: Hindi
60 Views
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