शोहरत
शीर्षक — शोहरत ************** एक सच शोहरत होती हैं। हम सभी चाहते रहते हैं। किस्मत और भाग्य होते हैं। शोहरत भी हमको मिलती हैं। हां हम एक संदेश जो देते हैं। सच तो शब्दों का संगम हैं। शोहरत भी तो शब्द होता हैं। मेरा या तेरा एक सपना होता हैं। शोहरत और कुदरत सच होते हैं। राह पर चलते चलते मिलती हैं। शोहरत कहने से नहीं मिलती है। समय और हम दोनों चलते हैं। हां सच शोहरत खुद मिलती हैं। ********************** नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र