शोभा वरनि न जाए, अयोध्या धाम की
शोभा वरनि न जाए , अयोध्या धाम की
जन मन के हिय में बसने वाले,जगत पिता प्रभु राम की
रोम रोम हो रहा प्रफुल्लित आनंदित हिय भारी
मन की आज अयोध्या नगरी,सजी हुई है सारी
लौट रहे श्री राम अयोध्या, प्रतिष्ठा जनमन में राम की
शोभा वरनि न जाए, अयोध्या धाम की
जिनके सुमरन और भजन से,पापी भी भव तरते हैं
दीन दुखी और भक्तों के जो,सारे कल्मष हरते हैं
जन्म से लेकर मृत्यु तक जो, सांसों में सबकी रहते हैं
युगों युगों से धर्म के रक्षक,दीन बंधु भगवान की
शोभा वरनी न जाए, अयोध्या धाम की
मर्यादित मनुष्य जीवन के पुरुषोत्तम सिरमौर हैं
मिलता नहीं मनुज जीवन का, कोई उदाहरण और हैं
सुख और दुख में सदा आनंदित,दुख भंजक सीताराम की
राम लखन भरत शत्रुघ्न श्री पूर्णकाम भगवान की
सुरेश कुमार चतुर्वेदी