शेष रह जाती है माँ
शेष रह जाती है माँ
डॉ. गरिमा संजय दुबे
केवल शिशु जन्म नहीं लेता
जन्म ले लेती है एक माँ भी ,
उसके पहले तो वह होती है
लड़की ,बेटी ,बहु ,पत्नी , सखी
और न जाने क्या क्या ,
हो जाती है माँ ,
गोद में लेते ही नवजात को ,
धरणी का धीर और प्रकृति सी उदारता ,
जाने कहाँ से आ जाती है उसमें
अल्हड़ता बदल जाती है गरिमा में ,
सबकुछ सिमट जाता है किलकारी में ,
बिसूर जाता है अपना होना ,
शेष रह जाती है केवल माँ ,
और क्या इसके बाद कुछ
होना शेष रहता है ?
डॉ. गरिमा संजय दुबे
१८ बी वंदना नगर एक्स.
इंदौर म. प्र.