Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Feb 2020 · 1 min read

शेर

उबल रही हैं ज़िन्दगी अपनी चाय की तरह!
हम हैं कि घूंट घूंट का मज़ा लिए जा रहे हैं!

?~अनूप एस.

Language: Hindi
1 Like · 229 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नारी बिन नर अधूरा🙏
नारी बिन नर अधूरा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
* विदा हुआ है फागुन *
* विदा हुआ है फागुन *
surenderpal vaidya
थोड़ी मोहब्बत तो उसे भी रही होगी हमसे
थोड़ी मोहब्बत तो उसे भी रही होगी हमसे
शेखर सिंह
"श्रृंगारिका"
Ekta chitrangini
"सच्चाई"
Dr. Kishan tandon kranti
ॐ
Prakash Chandra
* वक्त  ही वक्त  तन में रक्त था *
* वक्त ही वक्त तन में रक्त था *
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बुंदेली मुकरियां
बुंदेली मुकरियां
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ख़्वाब की होती ये
ख़्वाब की होती ये
Dr fauzia Naseem shad
अर्धांगिनी
अर्धांगिनी
VINOD CHAUHAN
उनको घरों में भी सीलन आती है,
उनको घरों में भी सीलन आती है,
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
पानी का संकट
पानी का संकट
Seema gupta,Alwar
जो चीजे शांत होती हैं
जो चीजे शांत होती हैं
ruby kumari
मुसाफिर
मुसाफिर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"" *सपनों की उड़ान* ""
सुनीलानंद महंत
Red is red
Red is red
Dr. Vaishali Verma
सच सच कहना
सच सच कहना
Surinder blackpen
*रामपुर के पाँच पुराने कवि*
*रामपुर के पाँच पुराने कवि*
Ravi Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
सैनिक के संग पूत भी हूँ !
सैनिक के संग पूत भी हूँ !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
जो आज शुरुआत में तुम्हारा साथ नहीं दे रहे हैं वो कल तुम्हारा
जो आज शुरुआत में तुम्हारा साथ नहीं दे रहे हैं वो कल तुम्हारा
Dr. Man Mohan Krishna
ज़िंदगी इतनी मुश्किल भी नहीं
ज़िंदगी इतनी मुश्किल भी नहीं
Dheerja Sharma
आजकल नहीं बोलता हूं शर्म के मारे
आजकल नहीं बोलता हूं शर्म के मारे
Keshav kishor Kumar
2838.*पूर्णिका*
2838.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
उम्र आते ही ....
उम्र आते ही ....
sushil sarna
ग़ज़ल (थाम लोगे तुम अग़र...)
ग़ज़ल (थाम लोगे तुम अग़र...)
डॉक्टर रागिनी
जरूरी तो नहीं
जरूरी तो नहीं
Awadhesh Singh
चाहते हैं हम यह
चाहते हैं हम यह
gurudeenverma198
अरे वो बाप तुम्हें,
अरे वो बाप तुम्हें,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
#दोहा
#दोहा
*प्रणय प्रभात*
Loading...