तांटक छंद :– बहुत हुआ समझौता अब ऐ पाक तुम्हारी बारी है !!
पाक तुम्हारी बारी है ……!!
बहुत हुए समझौते अब सुन पाक तुम्हारी बारी है ?
हमने भाई समझा लेकिन ,तुझमे बस मक्कारी है ॥
बहुत लड़ाई की जो तूने ,कायर बेईमानी से ।
जंग कहा इसको जो तूने, जंग नहीँ ये गद्दारी है ॥
तेरी नापाक इरादो का , जब उफान भर आयेगा ।
जरा सा फूकार दिया हमने ,तूफान खड़ा हो जायेगा ॥
पहचान बदल देंगे तेरी ,भौगोलिक हर मापों से ।
कश्मीर हथियाने का तेरा , अरमान धरा रह जायेगा ॥
अब तक तुझे जो बख्श दिया, ये अपनी खुद्दारी है ।
हमनें भाई समझा लेकिन तुझमे बस मक्कारी है ॥
है गुरूर इतना अगर , ऐ पाक तुझे इस्लाम पर ।
आकर भारत की सीमा मे , अब जंग का ऐलान कर ॥
कराची को चाची बना फ़िर ,हम चरखा पकड़ाएगे ।
काबुल को बुलबुल बना कर , ब्याह रचा घर लाएंगे ॥
हर बार जंग कर देख लिया , तेरी सेना ही हारी है ।
हमनें भाई समझा लेकिन तुझमे बस मक्कारी है ॥
गर तूने ये आंख दिखाई , अब हम आँखें नोचेंगे।
तेरे तसब्बुर से वहीं पर तुझे ही धर दबोचेंगे ॥
फिर आकर कितनी भी चाहे रहम की भीख मागे तू ।
भूल कर इन्सानियत को हम जख्म तेरे खरोचेंगे ॥
बिना लात के बात न माने , तू ऐसा धुत्कारी है ।
हमनें भाई समझा लेकिन तुझमे बस मक्कारी है ॥
चहक रहा था बचपन हरदम आज वहाँ खामोशी है ।
सारी हदें ये तोड़ कर तू इन्सानियत का दोशी है ॥
कभी अहमियत ना समझा तू नातों की ना सरहद की ।
भाई कभी ना बन सका तू ,ना तू नेक पड़ोसी है ॥
हर इक वीर यहाँ का हरदम होता आज्ञाकारी है ।
हमनें भाई समझा लेकिन तुझमे बस मक्कारी है ॥
अपने घर मे फन फैलाए वो अडियल है सैतानी ।
काश्मीर की जंग छेड़ कर , करता हमसे खीचातानी ॥
आज हमारी हर अस्मत पर घात लगाए बैठा है ।
इंतिकाम का वक्त आ गया , जागो प्यारे हिन्दुस्तानी ॥
आज हमारे सीने में तो धधक रही चिंगारी है ।
हमनें भाई समझा लेकिन तुझमे बस मक्कारी है ॥
✍?Anuj Tiwari