शेर को शक्ति दे माँ
मिलकर सारे कुत्ते शेर को घेरे नाच रहे है,
मिलकर कुत्ते शेर के आंगे भौंक रहे है।
देख आज जँगल की पंचायत,
मन मैं भय है हम तो अब चौक रहे है।
हुया लोमड़ी और कुत्तों मैं गठवन्धन,
षडयंत्रो से शेर का रास्ता रोक रहे है।
शेर पे बैठी दुर्गा मैया देख रही है,
कैसे कुत्ते शेर के आंगे ताल ठोक रहे है।
कुछ आंगे आये हाथ जोड़े,गले मिले,
तब ही कोई पीछे से भाला भौक रहे है।
दुर्गा मैया इस शक्ति दे ये फिर दहाड़ दे,
इन भेड़ियों को ये एक पल में पछाड़ दे।
शेर हारा गर उसका ना कुछ जाएगा,
चमन मेरा शिकारियों के हवाले हो जाएगा।
नोंच खायेंगे कोना कोना सब मिलकर,
भूखे बैठे रास्ता ताक यह रहे है।
रचनाकार: जितेंन्द्र दीक्षित,
पड़ाव मन्दिर साईंखेड़ा।