#रुबाइयाँ
अभिनंदन हम करें आपका , आए आप बहारों-से।
दसों दिशाएँ महक उठी हैं , खिले हृदय गुलज़ारों-से।।
अतिथि देव तुल्य हमें भाएँ , नमन हमारा स्वीकारो;
मंच विराजो शोभित हो यूँ , जैसे चाँद सितारों से।।
#आर.एस.’प्रीतम’
(C)सर्वाधिकार सुरक्षित रचना
अभिनंदन हम करें आपका , आए आप बहारों-से।
दसों दिशाएँ महक उठी हैं , खिले हृदय गुलज़ारों-से।।
अतिथि देव तुल्य हमें भाएँ , नमन हमारा स्वीकारो;
मंच विराजो शोभित हो यूँ , जैसे चाँद सितारों से।।
#आर.एस.’प्रीतम’
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