शून्य
शून्य
यूँ तो कीमत कहाँ शून्य की
शून्य बिन सब सून है
शुन्यता है जीवन मे गर तो
जीवन तुम्हारा अमूल्य है ।
कौन समझता ताकत इसकी
कहते हैँ बस शून्य है
पीछे हो तो कुछ नहीँ
आगे हो तो अतुल्य है ।
शून्य गर हो पाओ तुम
परिस्थितियों को वश मे कर पाओगे
कर लोगे खुद को काबू
मुश्किल हालातों मे ना घबराओगे ।
तुम भी शून्य हम भी शून्य
ये धरती ये आकाश शून्य
शून्य में हैँ ‘शिव’ समाया
शून्यता ही जीवन उद्धार का रहस्य बतलाया ।
– रुपाली भारद्वाज