” शून्य “
” शून्य ”
शून्य कहता हमें यूँ ना समझ
बस पहले न लगाओ,
मेरी ताकत छुपी न किसी से
गर पीछे लगाते जाओ।
जितनी बार भी लगता जाऊँ
दस गुनी शक्ति बढ़ाऊँ,
अपने सम्मोहन के बल पर
मैं सारा जग नचाऊँ।
” शून्य ”
शून्य कहता हमें यूँ ना समझ
बस पहले न लगाओ,
मेरी ताकत छुपी न किसी से
गर पीछे लगाते जाओ।
जितनी बार भी लगता जाऊँ
दस गुनी शक्ति बढ़ाऊँ,
अपने सम्मोहन के बल पर
मैं सारा जग नचाऊँ।