शून्य की महिमा
शून्य की महिमा
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शून्य से अनन्त कामना,
माया का विस्तार है।
अनन्त से फिर शून्य होना ,
भक्तिपद निराकार है।
शून्य का ये चक्र ही तो ,
शून्य का संसार है।
चौरासी के चक्कर में पड़कर ,
यात्रा अनंत प्रकार है।
मन मचलता अनन्त खातिर,
शून्य ही उपचार है।
शून्य से यदि दिल लगाले ,
शून्य ही संसार है।
शून्य की महिमा उनसे पुछो ,
जिन्हें दौलत अनंत अपार है।
शून्य में ही मोक्ष बसता ,
शून्य ही निर्वाण है।
शून्य में बुद्धत्व पाया ,
कहते हैं बुद्ध अवतार है।
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – ०९ /०८/२०२२
श्रावण, शुक्ल पक्ष ,द्वादशी ,मंगलवार ।
विक्रम संवत २०७९
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