शीर्षक – हैं और था
*शीर्षक – हैं और था
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जीवन और जिंदगी खुशहाल हैं।
तेरी मेरी चाहत के रंग महकते हैं।
सच तेरा मेरा भी प्यार कभी था।
चाहत और मोहब्बत का नाम था।
सच तेरे मेरे शब्दों में बस हम तुम हैं।
चाहत और नजरों में तेरे मेरे सपने हैं।
आज हमारे बीच कोई न रिश्ता था।
तेरे मेरे सपनों में मैं साथ कभी न था।
रिश्ते और नाते सांसों के साथ सच कहते हैं।
हमारे तुम्हारे समझ के साथ हम तुम संग हैं।
बस यही हैं और था का मतलब हम कहते हैं।
जो बीत गया वो पल न अब लौटकर आता हैं।
रंगमंच के हम सभी किरदार बस था और हैं।
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नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उ.प