शीर्षक: मैं और मेरी कविता
शीर्षक: मैं और मेरी कविता
शायद बने हम एक दूजे के लिए
मेरे शब्द और मेरी कविता
मेरे शब्द मानो दिल मेरी कविता का
मेरी धड़कन में बसे गहराई से शब्द कविता के
मेरे शब्द प्रीत मेरी कविता की
स्पंदन भरा मेरे शब्द उद्गार से
मेरी कलम की रीत भी कविता
मेरी प्रीत भी मेरी कविता
मैं खोई पल पल उसमे
मेरा पल पल है मेरी कविता
जिस्म में लहू सी बहती मेरी कविता
कलम में स्याही मानो मेरे भाव मेरी कविता
कभी कभी चर्चित होती मेरी कविता
एक दूजे में बसे मैं ओर मेरी कविता
तुम बिन सांसो में आस नही मेरे
तुम बिन जीवन अपूर्ण ही मेरा
तुम पर अर्पण प्रतिपल मेरा
मैं तुझमे तू मुझ में,ए मेरी कविता
बस यही मैं और मेरी कविता
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद