शीर्षक-मैंने पढ़ है किताबों में
मैंने पढ़ा है किताबों में
सत्यमेव जयते लेकिन
नहीं होता यकीं उन किताबों पर
आज के हालातों को देखकर
चंद पैसों से दबा दिया जाता है,सच
और खड़े कर दिए जाते है
गवाह,सच के खिलाफ
इंसाफ की लड़ाई में
बेबस दिखाई पड़ता है,सच
खड़ी रहती है कचहरी में
आंखों में पट्टी बांधे न्याय की मूर्ति
जो सुनती है सब कुछ
लेकिन धारण कर लेती है मौन
शायद वह जानती है,सबकुछ
भूपेंद्र रावत
8।08।2020