शीर्षक: भूली बिसरी खाट
शीर्षक : भूली बिसरी”खाट”
आज वो कुछ यादें सिमटी हुई सी फिर से याद आई
बान के गोले से बुनी गई वो पुरानी खाट याद आई
खाट पर बैठता कौन किधर यही बातें बीती याद आई
आज कहीं रखी दिखती हैं तो बचपन की याद आई।
सोचा बाँट लूँ उन सपनों को आप सभी के साथ
बुनी जाती थी बाणों से खाट आपको के साथ
मिलकर बांटते थे उत्सव पर खाट अपनो के साथ
आज तो बस याद बिसरी सी खाट आपको के साथ।
याद सपनो की वो खाट अब हुई बिसरी सी बात
याद आई कभी बारिश में भीगने से बचाने की बात
कभी धूप बचाने को छाया में करने की वो बात
आज फिर से याद आई वी सपनों सी खाट की बात।
अपने मोहल्लों में खाट पर बैठ होती थी मुलाकात
वो पहले जैसी बात नहीं बचपन की नही मुलाकात
अठखेलियों वाली वो रात न ही रही मुलाकात
कहानियां सुनाती थी नानी खाट पर होती मुलाकात।
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद