शीर्षक – फूलों सा महकना
फूलों सा महकना, सूरज जैसा जलना
तारे बन आकाश में, टिमटिमाते रहना
चंद्रमा बन, चांदनी बिखेरते रहना
पक्षी बन गगन छूना, छू लेना आसमान
मौन होकर ऋषियों जैसा
समझ लेना घर – संसार
राम जैसे मर्यादा में रहना
पराई स्त्री को मां – बहन समझना
कृष्ण बन चीर बढ़ाना
दु: शासन कभी मत बनना
मर्द हो तो मर्द ही बनना
कायरों की भांति व्यवहार न करना
स्त्री स्वाभिमान को,हमेशा ऊंचा रखना
प्रेम करना उसे व्याह के, कुंवारी से प्रेम कभी मत करना
हो जाय प्रेम तो, प्रेम का नाम देकर
कभी चीर हरण मत करना
कुछ भी करने से पूर्व, बड़ों का मान रखना
गलतियां हो जाए तो खुलकर प्रकट करना
लड़का हो या लड़की संस्कार बराबर दोनों को देना
शिक्षा हो या कौशल प्रशिक्षण दोनों में भेद न करना
__सोनम पुनीत दुबे