Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Sep 2022 · 1 min read

शीर्षक; प्रीत का घूँट

शीर्षक; प्रीत का घूँट

प्रीत का घूँट पिला रहा है कोई
धीरे धीरे ही सही पर अपना बना रहा है कोई
जाने क्यों धीरे धीरे से जिगर में बस रहा है कोई
प्यार के सुमधुर सपनो में ले जा रहा है कोई
धीरे धीरे ही सही रूह में बस रहा है कोई
प्रीत का घूँट पिला रहा है कोई
नजराना अपनी मोहब्बत का दे गया कोई
ख़ुद ब खुद दिल मे मेरे बेशकीमती हो गया कोई
मेरे लिए नाचीज़ तोहफ़ा बन गया कोई
दिल की किताब पर अपना नाम कर गया कोई
प्रीत का घूँट पिला रहा है कोई
वेशर्त ही अमूलय सा रिश्ता बना गया कोई
धीरे धीरे ही सही करीब आ गया कोई
नव जीवन आगाज़ रूखे जीवन मे कराये कोई
अंधेरे से जीवन मे प्रीत की रीत जगा गया कोई
प्रीत का घूँट पिला रहा है कोई
रग रग में बस गया ये अहसास करा गया कोई
होले होले ही मुझमे समा गया कोई
करीब ही हैं वो मेरे अहसास करा गया कोई
अनजाने ही सही मेरी जिंदगी सँवार गया कोई
प्रीत का घूँट पिला रहा है कोई

डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद

Language: Hindi
68 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Manju Saini
View all
You may also like:
"साम","दाम","दंड" व् “भेद" की व्यथा
Dr. Harvinder Singh Bakshi
ज़माने पर भरोसा करने वालों, भरोसे का जमाना जा रहा है..
ज़माने पर भरोसा करने वालों, भरोसे का जमाना जा रहा है..
पूर्वार्थ
संघर्षशीलता की दरकार है।
संघर्षशीलता की दरकार है।
Manisha Manjari
यादगार
यादगार
Bodhisatva kastooriya
आज का श्रवण कुमार
आज का श्रवण कुमार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
पर्यावरण
पर्यावरण
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
"हमारे दर्द का मरहम अगर बनकर खड़ा होगा
आर.एस. 'प्रीतम'
महफ़िल जो आए
महफ़िल जो आए
हिमांशु Kulshrestha
आधुनिक भारत के कारीगर
आधुनिक भारत के कारीगर
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
#दिवस_विशेष-
#दिवस_विशेष-
*प्रणय प्रभात*
आंखों की नदी
आंखों की नदी
Madhu Shah
सुबह की चाय मिलाती हैं
सुबह की चाय मिलाती हैं
Neeraj Agarwal
अब न करेगे इश्क और न करेगे किसी की ग़ुलामी,
अब न करेगे इश्क और न करेगे किसी की ग़ुलामी,
Vishal babu (vishu)
सत्ता परिवर्तन
सत्ता परिवर्तन
Shekhar Chandra Mitra
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बसंत पंचमी
बसंत पंचमी
Mukesh Kumar Sonkar
प्रकृति
प्रकृति
Sûrëkhâ
हिज़ाब को चेहरे से हटाएँ किस तरह Ghazal by Vinit Singh Shayar
हिज़ाब को चेहरे से हटाएँ किस तरह Ghazal by Vinit Singh Shayar
Vinit kumar
"सैल्यूट"
Dr. Kishan tandon kranti
नैतिकता का इतना
नैतिकता का इतना
Dr fauzia Naseem shad
*जीता हमने चंद्रमा, खोज चल रही नित्य (कुंडलिया )*
*जीता हमने चंद्रमा, खोज चल रही नित्य (कुंडलिया )*
Ravi Prakash
-- कटते पेड़ --
-- कटते पेड़ --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
दुखों का भार
दुखों का भार
Pt. Brajesh Kumar Nayak
``बचपन```*
``बचपन```*
Naushaba Suriya
किताबों में तुम्हारे नाम का मैं ढूँढता हूँ माने
किताबों में तुम्हारे नाम का मैं ढूँढता हूँ माने
आनंद प्रवीण
3383⚘ *पूर्णिका* ⚘
3383⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
खुशी तो आज भी गांव के पुराने घरों में ही मिलती है 🏡
खुशी तो आज भी गांव के पुराने घरों में ही मिलती है 🏡
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*** लम्हा.....!!! ***
*** लम्हा.....!!! ***
VEDANTA PATEL
घायल मेरा प्यार....!
घायल मेरा प्यार....!
singh kunwar sarvendra vikram
**मातृभूमि**
**मातृभूमि**
लक्ष्मण 'बिजनौरी'
Loading...