शीर्षक-“प्यारे नाना-नानी” (बाल-कविता)(20)
प्यारे नाना-नानी
मम्मी-पापा मेरी गर्मी की छुट्टी लगी,
कह रही मुन्नी,मैं तो नाना-नानी के घर जाऊँगी,
प्यारे नाना ले जाते रोज बगीचा घूमने और खिलाते आईस्क्रीम,
प्यारी नानी हमेशा बनाती चीज मनपसंद,
खुशी से फुली न समाती मुन्नी,
नानी संग बनाती नित-नई स्कीम,
नाना खिलाते गुड्डे-गुड़ियों का खेल और मुन्नी-मुन्ना झगड़े आपस में तो सदा कराते मेल,
देखकर नानी भी पास बुलाती,
करती समझाईश और सुनाती कहानी खिलाती खेल,
सिखाते हमेशा रहना मिल-जुलकर,नहीं रखना मन में द्वेष ||
आरती अयाचित
स्वरचित एवं मौलिक
भोपाल