शीर्षक -पिता दिये की बाती हैं!
विषय -पिता दिये की बाती हैं!
16जून पितृ दिवस
———————
पिता से ही घर संसार होता,
पिता से ही माँ का सिंदूर होता!
हम बच्चों के लिए सदा ही पिता,
जी जान लगाकर मेहनत करते हैं।
माँ!के माथे की बिंदिया का नूर,
जीवन की हर खुशी तुमसे है ।
साज और आवाज भी तुमसे,
तुमसे ही जीवन की खुशियांँ हैं।
धीरज है धरा सा ऊंचाई गगन सी,
जीवन का हर सुख,खुशी तुमसे है।
कभी कोई कांँटा ना चुभे बच्चों को,
इसीलिए खुद कष्टों को सह लेते हैं।
बच्चों को अमृत का दान देकर,
स्वयं गरल जीवन का पी जातें हैं!
वृक्ष की छाँव की तरह होते पिता,
अँधेरी रातों की बाती पिता होते हैं!
सुषमा सिंह*उर्मि,,
कानपुर