शीर्षक: पापा आपका यूँ रूठना
शीर्षक: पापा आपका यूँ रूठना
बहुत दुःख देता है पापा आपका यूँ रूठ कर चले जाना
जीवन से बहार चली गई जैसे मौसम पतझड़ का
रंग ही उड़ गए जैसे पतझड़ में पेड़ हो जाते है
बहुत दुःख होता हैं आपका यूँ रूठ कर चले जाना
आपका होना तो हर दिन बसंत से था जीवन मे
आपकी आंखों का वो प्यार जो झलकता था
जैसे बादल बरसने को हो तैयार नेह लिए
बहुत दुःख होता हैं आपका यूँ रूठ कर चले जाना
आपका होना तो इंद्रधनुष सा रंगीन सा था जीवन मे
सतरंगी सी अभिलाषाएं थी बस जीवन मे
गुलाब सी खिली खिली सी थी महफ़िल परिवार की
बहुत दुःख होता हैं आपका यूँ रूठ कर चले जाना
आपका होना तो सावन की खूबसूरत बहार सी थी
बारिश की वो पहली बूँद की खुशी सी थे आप
मानो मुस्कान ही मुस्कान थी होठो पर हमारे
बहुत दुःख होता हैं आपका यूँ रूठ कर चले जाना
आपका बैठ कर बच्चों के बीच खेलना,झगड़ना
वो मुस्कुराना अठखेलियां करना मन तड़फता हैं आज
आपकी को खिली सी हंसी मानो खुशियां थी अपार
बहुत दुःख होता हैं आपका यूँ रूठ कर चले जाना
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद