शीर्षक – खामोशी
शीर्षक – ख़ामोशी
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सच तो तेरी खामोशी भी कहती हैं।
सच तुम बस सच ही हमें रहते हैं
ख़ामोशी की अपनी एक अदा होती हैं।
बस बयां न जुबां आंखों से कहतीं हैं।
हां हां तेरी खामोशी की सोच होती हैं
हम तुम संग साथ साथ ही रहते हैं।
ख़ामोशी ही जीवन के सच कहती हैं।
हमारी सोच ही जीवन हम जीते हैं।
ख़ामोशी ही जीवन जीते हुए हम हैं।
न तेरी यादों की ख़ामोशी हम भूलते हैं।
जिंदगी गुज़र बसर बस हम सोचते हैं।
हां ख़ामोशी बस हमारे जीवन में रहती हैं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र