शीर्षक:-कुछ अपनी कुछ उसकी
शीर्षक:-कुछ अपनी कुछ उसकी
कुछ अपनी कुछ उसकी
सुनें और सुनायें जिसे सुन
हम दोनो को ही तभी सुकून आये….
पता है न तुम्हे जहां हम मिले थे पहली बार
फूलो से सराबोर था वो बगीचा
जहां बैठ बनाई थी हमने जीवन की एक रेखा
आओ आज फिर से वही बैठ कर
कुछ अपनी कुछ उसकी…
सुनें और सुनायें जिसे सुन
हम दोनो को ही तभी सुकून आये
तेरे नेह की वो बाते मेरी लेखनी को
शब्द सजाने का एक मौका भी मिला
औऱ उसने रूप एक सुंदर रचना का ले लिया
उस स्वरूप को आओ आज फिर से सँवारे
कुछ अपनी कुछ उसकी…
सुनें और सुनायें जिसे सुन
हम दोनो को ही तभी सुकून आये
हम ठहरना चाहते थे एक साथ ही पर
समय नही था वो साथ हमारे लिए
वो बरसात का आना और मिट्टी की
सोंधी सी खुशबू समेटे झन में चल दिये हम
कुछ अपनी कुछ उसकी…
सुनें और सुनायें जिसे सुन
हम दोनो को ही तभी सुकून आये
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद