शीर्षक:- करोनाकाल
शीर्षक:- करोनाकाल
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मार्च महीने मे प्रधानमंत्री जी ने करोना संक्रमण से बचाव के कारण सम्पूर्ण देश मे लॉक डाउन घोषित कर दिया । इस दौरान भारत के सारे शहर जहाँ के तहाँ रूक गए। सभी लोग अपने घरों मे क़ैद हो गए थे । मोना के घर काम पर करने वाली अनिता का सोसायटी के गेट से फ़ोन आता है।
अनिता : दीदी काम करने आई थी । पर गार्ड ने मना कर दिया है। क्या करूँ
मोना: कोई बात नही अनिता घर वापस चली जाओ।कुछ ही दिनों की बात है। सब ठीक हो जाएगा। अपना ओर अपनी बेटी का ख्याल रखना । अगर किसी चीज की जरूरत हो फ़ोन कर देना। मे भेज दूंगी। आकर गेट से ले जाना।
अनिता: ठीक है दीदी
अनिता सोसायटी की बगल मे एक छोटे से मकान मे अपनी बेटी के साथ किराए पर रहती है। रोज रोज के घरेलू झगड़ों के कारण वह अपने पति से अलग होकर 3-4 घरों मे काम करके अपना और बेटी का जीवन यापन कर रही है । अपनी बेटी को पढ़ना ही अनिता के जीवन का अगला लक्ष्य है। अपनी बेटी को उसने एक सरकारी स्कूल मे दाखिल करा दिया था ।
लॉक डाउन के कारण चार घरो मैं से दो घरो ने पैसा देना बंद कर दिया । दो घरों से मिले पैसों से घर मे जरूरत अनुसार कुछ खाने का सामान खरीद लाई पर वह घर का पूरा किराया अदा न कर सकी । कुछ जमा पूंजी से अनिता ने कुछ दिन बीता दिए। परन्तु कुछ दिन बाद ही मकान मालिक ने बचा हुए किराए की मांग की तथा अगले महीने से घर का किराया बढ़ा दिया । जो अनिता अदा करने की हालत मैं नही थी । क्योंकि पिछले महीने का किराया पहले से ही बकाया था । अतः मकान खाली करना पड़ा। मजबूरीवश एक दिन अनिता का फोन मोना के पास आया ।
मोना : क्या हुआ अनिता
अनिता : मकान मालिक द्वारा की गई ज्यादती की कहानी एक ही सांस मे सुना डाली। साथ ही अनिता ने बताया कि वह काम की काफी कोशिश भी कर चुकी है। पर कोई काम नही मिला ।
अनिता : दीदी आपके अलावा मेरा कोई नही है ।जो मेरी परेशानी समझ सके। इसलिए आपको ही फ़ोन किया है।
सुनकर मोना बहुत दुखी हुई । मोना ने तुरंत अनिता को सोसायटी के गेट पर बुलाकर नए मकान के किराए का पैसा अनिता के हाथ मे रख दिया तथा साथ ही वह कुछ खाने का सामान भी साथ लाई थी वो उसके हवाले कर किया।
मोना अब हर महीने बिना काम के हर महीने पूरी पगार के साथ साथ कुछ खाने का सामान अनिता को बुला कर दे देती थी। अनिता बेहद खुश थी । साथ ही मोना भी अंतर्मन से बहुत खुश थी ।
अतः करोनाकाल मे जिसने भी किसी जरूरतमंद की मदद की है किसी भी रूप मे वो सचमुच प्रशंसा का पात्र है
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भगतसिंह ,नई दिल्ली
सर्वाधिकार स्वारचित मौलिक व पूर्ण सुरक्षित रचना