Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Feb 2023 · 2 min read

शीर्षक:होलिका दहन

वो कब जानती थी कि,अंत कुमति का होगा।
कहाँ पता था उसको,परचम सुमति का होगा।।

होली दहन प्रत्येक वर्ष फागुन माह की पूर्णिमा तिथि यानि पूर्णिमा की रात्रि को होता हैं।यह मार्च माह में ही पड़ता हैं।रंगों के इस त्यौहार को हँसी खुशी जश्न रूप में मनाया जाता हैं।यह त्योहार, जो हर साल फाल्गुन महीने में आता है, वसंत के आगमन को याद करता है। होली दहन होली से पहले का दिन है। इस दिन,पड़ोस मोहल्ले में लोग होलिका जलाते हैं और उसके चारों ओर गाते हैं और नृत्य करते हैं। होलिका दहन हिंदू धर्म में सिर्फ एक त्योहार ही नही बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
होली दहन,आंच को किया सहन।
प्रह्लाद तप निकला,आंच थी गहन।।
ऐसा माना जाता है कि होली पर होलिका पूजा करने से हिंदू धर्म में शक्ति, समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है। होली पर होलिका पूजा हमें सभी प्रकार के भय को दूर करने में मदद करेगी। चूंकि यह माना जाता है कि होलिका को सभी प्रकार के आतंक को दूर करने के लिए बनाया गया था, इसलिए होलिका दहन से पहले प्रह्लाद के साथ उसकी पूजा की जाती है, इस तथ्य के बावजूद कि वह एक दानव है।
हिरण्यकश्यपु ने तब भगवान ब्रह्मा को यह वरदान देने के लिए राजी किया कि वह किसी देव, मानव या जानवर, या किसी भी प्राणी द्वारा, जो दिन या रात, किसी भी समय, किसी भी हाथ से पकड़े हुए हथियार या प्रक्षेप्य हथियार द्वारा जन्म नहीं लेगा, उसको नहीं मारा जाएगा। या भीतर या बाहर। राक्षस राजा यह मानने लगे कि भगवान ब्रह्मा द्वारा इन वरदानों को दिए जाने के बाद वह भगवान थे, और उन्होंने मांग की कि उनके लोग केवल उनकी प्रशंसा करें। हालाँकि, उनके अपने पुत्र, प्रह्लाद ने राजा के आदेशों की अवहेलना की क्योंकि वह भगवान विष्णु को समर्पित थे। परिणामस्वरूप, हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र हत्या के लिए कई योजनाएँ बनाईं।और होलिका का सहारा लिया था।इसके बाद उसने अपनी बहन होलिका से मदद ली जिसे यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जलेगी। भक्त प्रह्लाद को गोद में लेकर होलिका चिता पर बैठ गई। यह सब कुछ देखकर भी प्रह्लाद तनिक भी विचलित न हुए। पूरी श्रद्धा से वह भगवान विष्णु का नाम जपते रहे। परन्तु होलिका का यह वरदान उस समय समाप्त हो गया जब उसने भगवान भक्त प्रह्लाद का वध करने का प्रयत्न किया। इस प्रकार प्रह्लाद को मारने के प्रयास में होलिका की मृत्यु हो गई। होलिका अग्नि में जल गई परन्तु नारायण भगवान की कृपा से प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ।
तभी से होलिका दहन की परंपरा चली आ रही हैं और यह कहावत भी चरितार्थ होती हैं:-
जाको राखे साइयां
मार सके न कोय
बाल न बांका करी सके
चाहे जग बेरी होय
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद

Language: Hindi
1 Like · 85 Views
Books from Dr Manju Saini
View all

You may also like these posts

दुश्मनों की कमी नहीं जिंदगी में ...
दुश्मनों की कमी नहीं जिंदगी में ...
ओनिका सेतिया 'अनु '
मित्रता दिवस
मित्रता दिवस
Rambali Mishra
कड़वा सच
कड़वा सच
Sanjeev Kumar mishra
संविधान के पहरेदार कहां हैं?
संविधान के पहरेदार कहां हैं?
Shekhar Chandra Mitra
फौज हमारी
फौज हमारी
अरशद रसूल बदायूंनी
वापस
वापस
Dr.sima
**
**"कोई गिला नहीं "
Dr Mukesh 'Aseemit'
तेरे इश्क़ में थोड़े घायल से हैं,
तेरे इश्क़ में थोड़े घायल से हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अरमान
अरमान
अखिलेश 'अखिल'
स्वरचित कविता..✍️
स्वरचित कविता..✍️
Shubham Pandey (S P)
कहनी चाही कभी जो दिल की बात...
कहनी चाही कभी जो दिल की बात...
Sunil Suman
उड़ने लगी गगन में।( काव्य गीत)
उड़ने लगी गगन में।( काव्य गीत)
Priya princess panwar
■हरियाणा■
■हरियाणा■
*प्रणय*
सोशल मीडिया में आधी खबरें झूठी है और अखबार में पूरी !!
सोशल मीडिया में आधी खबरें झूठी है और अखबार में पूरी !!
P S Dhami
भूप
भूप
Shriyansh Gupta
किस्सा कुर्सी का - राज करने का
किस्सा कुर्सी का - राज करने का "राज"
Atul "Krishn"
नेता
नेता
OM PRAKASH MEENA
जिसकी तस्दीक चाँद करता है
जिसकी तस्दीक चाँद करता है
Shweta Soni
सवैया
सवैया
अवध किशोर 'अवधू'
यादों से कह दो न छेड़ें हमें
यादों से कह दो न छेड़ें हमें
sushil sarna
पढ़ाई -लिखाई एक स्त्री के जीवन का वह श्रृंगार है,
पढ़ाई -लिखाई एक स्त्री के जीवन का वह श्रृंगार है,
Aarti sirsat
चार बजे
चार बजे
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
रामलला फिर आएंगे
रामलला फिर आएंगे
इंजी. संजय श्रीवास्तव
सत्य साधना -हायकु मुक्तक
सत्य साधना -हायकु मुक्तक
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
उस रावण को मारो ना
उस रावण को मारो ना
VINOD CHAUHAN
2618.पूर्णिका
2618.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मैं अलग हूँ
मैं अलग हूँ
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
आत्मा नित्य अखंड है, जहाँ नहीं कुछ भेद।
आत्मा नित्य अखंड है, जहाँ नहीं कुछ भेद।
Dr. Sunita Singh
"जलन"
Dr. Kishan tandon kranti
Stages Of Love
Stages Of Love
Vedha Singh
Loading...