शीर्षक:सुकून
माँ तेरे जाने से सुकून ही चला गया जैसे जीवन से
जीवन शून्य-सा हो गया मेरा
लगता है जैसे जीने की
ख्वाहिशें दम तोड़ गई हो मेरी तो
मानो कि जैसे सुकून था ही तेरी गोदी में
जीने के लिए बस अब सांसे ही व्हले रही है मेरी
होठो पर हँसी व खुशी बस दिखावा मात्र है
सब बनावटी प्रतीत होता हैं मुझे
जीवन मे जैसे बस अंधेरा-ही-अंधेरा है
उस अंधेरे में मानो कहीं खो सी जाती हूँ यादो में
कहीं रौशनी नजर नहीं आती सुकून भरी
अंदर तक यादे भर सकें तेरी
जीने ख्वाहिशों को जगा सकें मेरी
कुछ सपने देखें थे माँ तेरे संग
कुछ उम्मीदें थीं तेरी भी वो पूरा करती मैं
सही-गलत का फैसला मैं नही कर सकती
खुद को असमर्थ पाती हूँ ईश्वर इच्छा के सामने
हां, सच में जीवन शून्य-सा हो गया है मेरा
लगता है जैसे जीने की ख्वाहिशें दम
तोड़ गयीं हो मेरी सुकून ही गया जीवन से