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5 Oct 2022 · 1 min read

शीर्षक:सत्य की जीत

अच्छाई पर बुराई को अत्याचार करते देखा है
जीत सच्चाई की होते हुए हमने देखा है
रावण को मरते ,राम को मारते देखा हैं
पुतले को रावण के हर वर्ष जलते देखा हैं

दशहरे पर मेलो में हँसते हुए देखा है
पटाखों का शोर हो और लोगो मस्ती करते देखा है
आतिशबाजी का शोर,खुशियां मनाते देखा है
प्रतिवर्ष हमने यही होते देखा है

परम्परा का सच अच्छाई जीतती देखी हैं
बुराई को बढ़ते और, सच्चाई को जीतते देखा है
आज तो हर रोज ही रावण को हमने देखा है
व्यभिचार आजकल हर रोज बढ़ते देखा है

साधु के वेश में छिपे आज हमने रावण को देखा हैं
वहशी की वहशियाना अंदाज सब तरफ देखा हैं
कानून को उनके हाथों मरते हुए देखा है
फिर भी प्रतिवर्ष हमने रावण को जलते हुए देखा हैं
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद

Language: Hindi
1 Like · 138 Views
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