शीर्षक:बोलती आँखे
शीर्षक:बोलती आँखे
सुनो …
आज भी तुम्हारी कुछ बोलती सी आँखे
सामने आ जाती हैं यादो में तुम्हारी
ठहरो ना कुछ वक्त समा जाऊं आँखों मे तुम्हारी
शून्य में ही तो बातें करती आई हूँ अब तक
होती है तुमसे वो बिताई बातो का
सिलसिला जारी है पर बोलती सी आँखों की गहराई में
शांत हुए मन में आज भी बसी यादो की तस्वीर
सुनो …
आज भी तुम्हारी कुछ बोलती सी आँखे
सामने आ जाती हैं यादो में तुम्हारी
ठहरो ना कुछ वक्त मैं अपलक निहारूँ तुम्हे
मेरी खामोशी में मेरे संग बस जाओ मुझमे
पता है तुम रुकते हो तो बोलती हैं आँखे मेरी
एक कहानी बन मेरे अंदर आँखों मे बसे जैसे
मनःपटल पर उकेरित आकृति
सुनो…
आज भी तुम्हारी कुछ बोलती सी आँखे
सामने आ जाती हैं यादो में तुम्हारी
ठहरो न तनिक बोलती सी मेरी आँखों मे
सुनो यादे बन बस जाओ बोलती सी आँखों मे मेरी
यादो की तन्हाई में तस्वीर बन बसों बोलती सी आंखों में
दर्द की टीस को राहत सी मिलती है तस्वीर में तेरी
पीड़ा को कम कर दो मेरी बोलती ही आँखों से
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद