Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jul 2021 · 1 min read

शीर्षक:बताओ मुझे

शीर्षक:बताओ मुझे

मुझमें बसती है जान तुम्हारी ये हैं मालूम मुझे
मेरी बात से करते शुरू दिन हैं मालूम मुझे
रात होती मुझसे बात करके तुम्हारी है मालूम मुझे
हर पल रहता मेरा ही ख्याल हैं मालूम मुझे
क्यों करते हो तुम मुझसे इतनी मोहब्बत??बताओ मुझे।

जब बात नहीं होती तुमसे तब डर जाते हैं मालूम मुझे
हर पल डर रहता है मुझे खोने का तुमको,हैं मालूम मुझे
मुझसे तुम करते हो मोहब्बत बेइंतिहा हैं मालूम मुझे
मैं भी तो करती हूँ मोहब्बत तुमसे हैं मालूम मुझे
क्यों करते हो तुम मुझसे इतनी मोहब्बत??बताओ मुझे।

पल पल दिल मेरा भी दुःखी होता है दूर रह कर तुमसे
तुम भी तो होते हो तकलीफ़ में दूर रह कर मुझसे
हर दम चेहरे पर मुस्कान दिल में दर्द होता है दूर रह कर
कैसे करूँ तकलीफ कम यही सोचती हूं दूर रह कर तुमसे
क्यों करते हो तुम मुझसे इतनी मोहब्बत??बताओ मुझे।

मैं भी होती परेशान तुम्हारी तकलीफ से,तुमसे दूर रह कर
तुरन्त ही फ़ोन से बात करती हूँ तुमसे दूर रह कर
बात से दिलासा मिलता दिल को मेरे तुम से दूर रह कर
मेरी उदासी कम हो जाती हैं बात से तुम से दूर रह कर
क्यों करते हो तुम मुझसे इतनी मोहब्बत??बताओ मुझे।
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद
स्वरचित

Language: Hindi
1 Like · 306 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Manju Saini
View all
You may also like:
नेता के बोल
नेता के बोल
Aman Sinha
गणतंत्र
गणतंत्र
लक्ष्मी सिंह
अभिव्यक्ति की सामरिकता - भाग 05 Desert Fellow Rakesh Yadav
अभिव्यक्ति की सामरिकता - भाग 05 Desert Fellow Rakesh Yadav
Desert fellow Rakesh
झूठी हमदर्दियां
झूठी हमदर्दियां
Surinder blackpen
*बदलना और मिटना*
*बदलना और मिटना*
Sûrëkhâ
समझदार बेवकूफ़
समझदार बेवकूफ़
Shyam Sundar Subramanian
*पीता और पिलाता है*
*पीता और पिलाता है*
Dushyant Kumar
आखिर उन पुरुष का,दर्द कौन समझेगा
आखिर उन पुरुष का,दर्द कौन समझेगा
पूर्वार्थ
आप और हम
आप और हम
Neeraj Agarwal
मोहब्बत में मोहब्बत से नजर फेरा,
मोहब्बत में मोहब्बत से नजर फेरा,
goutam shaw
ग़ज़ल _ मांगती इंसाफ़ जनता ।
ग़ज़ल _ मांगती इंसाफ़ जनता ।
Neelofar Khan
■ चाह खत्म तो राह खत्म।
■ चाह खत्म तो राह खत्म।
*प्रणय प्रभात*
प्रेम की साधना (एक सच्ची प्रेमकथा पर आधारित)
प्रेम की साधना (एक सच्ची प्रेमकथा पर आधारित)
गुमनाम 'बाबा'
कहां जाके लुकाबों
कहां जाके लुकाबों
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
भगवान की पूजा करने से
भगवान की पूजा करने से
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ईमेल आपके मस्तिष्क की लिंक है और उस मोबाइल की हिस्ट्री आपके
ईमेल आपके मस्तिष्क की लिंक है और उस मोबाइल की हिस्ट्री आपके
Rj Anand Prajapati
"ग से गमला"
Dr. Kishan tandon kranti
न मुमकिन है ख़ुद का घरौंदा मिटाना
न मुमकिन है ख़ुद का घरौंदा मिटाना
शिल्पी सिंह बघेल
अगर कोई अच्छा खासा अवगुण है तो लोगों की उम्मीद होगी आप उस अव
अगर कोई अच्छा खासा अवगुण है तो लोगों की उम्मीद होगी आप उस अव
Dr. Rajeev Jain
कहने को सभी कहते_
कहने को सभी कहते_
Rajesh vyas
जीना है तो ज़माने के रंग में रंगना पड़ेगा,
जीना है तो ज़माने के रंग में रंगना पड़ेगा,
_सुलेखा.
अबके रंग लगाना है
अबके रंग लगाना है
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
2619.पूर्णिका
2619.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
तन्हाई में अपनी
तन्हाई में अपनी
हिमांशु Kulshrestha
जमाना है
जमाना है
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
उड़ान
उड़ान
Saraswati Bajpai
*पद का मद सबसे बड़ा, खुद को जाता भूल* (कुंडलिया)
*पद का मद सबसे बड़ा, खुद को जाता भूल* (कुंडलिया)
Ravi Prakash
नज़्म/गीत - वो मधुशाला, अब कहाँ
नज़्म/गीत - वो मधुशाला, अब कहाँ
अनिल कुमार
तुम वह दिल नहीं हो, जिससे हम प्यार करें
तुम वह दिल नहीं हो, जिससे हम प्यार करें
gurudeenverma198
*Each moment again I save*
*Each moment again I save*
Poonam Matia
Loading...