शीर्षक:पापा मैं नही हूँ मौन
शीर्षक:पापा मैं नही हूँ मौन
आप की दी सीख आज भी साथ है मेरे
आपने सिखाया मौन किसी समस्या का समाधान नही
आप ही कहते थे कि घर की लक्ष्मी यदि हो जाये मौन
तो समझो कुछ तो विपत्ति आनी वाली हैं
क्योंकि स्त्री मौन होती हैं तो बहुत गुबार मन मे लेकर
वह बर्दास्त करती हैं असीम तक
जीत आपकी नही होती यदि वह हो जाये शांत
समझो कि कुछ तो गलत हुआ जो वह हुई चुप
आज भी याद आती हैं आपकी दी हुई सीख
तभी तो मैं मौन नही हूं पापा
कह डालती हूँन के भाव स्पष्ट,
तुम सोचते हो तुमने उसे जीत लिया तभी वह हुई मौन
अपने अनुरूप ढाल लिया तभी हुई वह मौन
नहीं जनाब तुम हार चुके हो उसने मन के भाव मे
अब वह जो तुम्हारे साथ है,बस शरीर मात्र से
जिसे तुम्हारे गुरुर ने किया है मौन पर मैं
आज भी कह देती हूँ अपने भाव स्पष्ट
क्योंकि पापा मैं मौन नही हूँ
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद