Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 May 2022 · 2 min read

शीर्षक:पापा का घर

शीर्षक:पापा का घर

जब तक पापा जिंदा रहते
बेटी मायके में हक़ से आती जाती रहती
और घर में भी ज़िद कर लेती है और मनवा भी लेती
कोई कुछ कहे तो डट के बोल देती है कि
मेरे पापा का घर है मेरा भी पूरा सा हक हैं
पर जैसे ही पापा चले गए ना तो बस
समझो कि बेटी तो अनाथ सी ही हो जाती
घर आती पापा के बाद तो वो इतनी चीत्कार
करके रोती पता चल जाता सभी को कि बेटी आई

जब तक पापा जिंदा रहते
बेटी मायके में हक़ से आती जाती रहती
बेटी उस दिन अपनी हिम्मत हार जाती है,
क्योंकि उस दिन उसके पापा ही नहीं उसकी वो हिम्मत मर जाती हैं वह रह जाती हैं नितांत अकेली
पापा की मौत के बाद बेटी कभी अपने
भाई- भाभी के घर वो जिद नहीं करती
जो अपने पापा के वक्त करती थी,
जो मिला खा लिया, क्योंकि अब पापा नही हैं

जब तक पापा जिंदा रहते
बेटी मायके में हक़ से आती जाती रहती
इसके आगे लिखने की हिम्मत नहीं है,
क्योकि मैं भी बिन पापा की बेटी हूँ
सब मेरे साथ भी हुआ हैं,यही हित भी हैं
इतना ही पापा के लिए बेटी उसकी जिंदगी होती है, पर वो कभी बोलता नहीं, और बेटी के लिए पापा
दुनिया की सबसे बड़ी हिम्मत और घमंड होता है, पर बेटी भी यह बात कभी किसी को बोलती नहीं है।

जब तक पापा जिंदा रहते
बेटी मायके में हक़ से आती जाती रहती
पापा बेटी का प्रेम समुद्र से भी गहरा होता हैं
मुझ से ज्यादा शायद ही कोई जाने पापा
समुद्र की लहरों सी आपकी बिटिया मानो
किनारे से मिल तो लेती हैं पर टिक नही सकती
कुछ क्षण अपने किनारे संग मुझ सी बेटियाँ भी
ढूंढती हैं आंखे अपने बीते हुए सुखद पलो को
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद

1 Like · 320 Views
Books from Dr Manju Saini
View all

You may also like these posts

अहं का अंकुर न फूटे,बनो चित् मय प्राण धन
अहं का अंकुर न फूटे,बनो चित् मय प्राण धन
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
3625.💐 *पूर्णिका* 💐
3625.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सोच बदलें
सोच बदलें
Dr. Bharati Varma Bourai
प्रकृति के स्वरूप
प्रकृति के स्वरूप
डॉ० रोहित कौशिक
जीने दें
जीने दें
Mansi Kadam
बाण मां सूं अरदास
बाण मां सूं अरदास
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
ज़ाम उल्फत के पिये भी खूब थे।
ज़ाम उल्फत के पिये भी खूब थे।
सत्य कुमार प्रेमी
शब्द जो कर दें निशब्द
शब्द जो कर दें निशब्द
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
साक्षात्कार - पीयूष गोयल
साक्षात्कार - पीयूष गोयल
Piyush Goel
सही कहो तो तुम्हे झूटा लगता है
सही कहो तो तुम्हे झूटा लगता है
Rituraj shivem verma
कल की तस्वीर है
कल की तस्वीर है
Mahetaru madhukar
यूँ
यूँ
sheema anmol
रोमांटिक होना छिछोरा होना नहीं होता,
रोमांटिक होना छिछोरा होना नहीं होता,
पूर्वार्थ
सुन मानसून ! सुन
सुन मानसून ! सुन
Ghanshyam Poddar
जाने कैसे आँख की,
जाने कैसे आँख की,
sushil sarna
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
खुद से रूठा तो खुद ही मनाना पड़ा
खुद से रूठा तो खुद ही मनाना पड़ा
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कर्म प्रकाशित करे ज्ञान को,
कर्म प्रकाशित करे ज्ञान को,
Sanjay ' शून्य'
क्या ?
क्या ?
Dinesh Kumar Gangwar
अपनी मंजिल की तलाश में ,
अपनी मंजिल की तलाश में ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
मां महागौरी
मां महागौरी
Mukesh Kumar Sonkar
मिली नही विश्वास की, उन्हें अगर जो खाद
मिली नही विश्वास की, उन्हें अगर जो खाद
RAMESH SHARMA
■ आखिरकार ■
■ आखिरकार ■
*प्रणय*
बचपन का प्यार
बचपन का प्यार
Vandna Thakur
*दुल्हन के सुंदर हुए, लाल मेहॅंदी-हाथ (कुंडलिया)*
*दुल्हन के सुंदर हुए, लाल मेहॅंदी-हाथ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
अकेलेपन का अंधेरा
अकेलेपन का अंधेरा
SATPAL CHAUHAN
श्याम
श्याम
Rambali Mishra
"ऐ समन्दर"
Dr. Kishan tandon kranti
122 122 122 122
122 122 122 122
Johnny Ahmed 'क़ैस'
रामू
रामू
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
Loading...