शीर्षक:नाते
विषय:नाते
मेरे द्वारा आधुनिक रिश्ते की पुकार पढियेगा मेरी रचना के माध्यम से
ऐ मेरे मोबाईल सदा साथ मेरा देना तुम
तुम से मेरा नाता गहरा तुम बिन ना कोई सार
तुम बिन पागल सी डोलू घर चाहे बाजार
एक पल मुझसे बिछुड़ न जाना
जीना हो जाएगा मुहाल
खाने बिन मैं रह सकती हूँ तुम बिन रहा न जाये
ऐ मेरे मोबाईल सदा साथ मेरा देना तुम
तेरी जुदाई अब सही न जाये क्या हैं इसका उपाय
मेरे तो दिल मे बसी बस तेरी मूरत
तेरी बोली बिन दिल न काटा जाए
राते भी सूनी सी न अब कोई उपाय
बिन वॉट्सऐप बिन फेसबुक अब तो न जीवन
ऐ मेरे मोबाईल सदा साथ मेरा देना तुम
तुम वादा कर लो मुझसे न बिछुड़ोगे कभी
मात पिता बीबी ओर बच्चे चाहे जाए बिछुड़
पर तुम बिन अब रहा न जाये करो इसका उपाय
क्या किया तुमने ये टोना नजर हटाई न जाये
ए मेरे मोबाइल तुम बिन क्यो अब रहा न जाये
काम मे भी अब मन नही लगता
कैसा प्रेम त बढ़ाए
अब तो क्षण भी जुदाई तुम्हारी नहीं सही जाए
नींद से भी मुझे तो तुम्हारी ही आवाज आये
प्रिय बिन अब तो देखो मुझ पागल से रहा न जाये
ऐ मेरे मोबाईल सदा साथ मेरा देना तुम
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद