शीर्षक:चाँद
सोलह कलाओं से परिपूर्ण चाँद आता हैं
शरद पूर्णिमा का चाँद स्वेत धवल होता हैं
दिव्य अमृत रश्मि में स्नान करती रश्मियां हैं
होती औषधीय गुणों की खान उसकी किरणे हैं।
शरद पूर्णिमा का चाँद आएगा
लेकर अपनी शीतल चाँदनी संग
धवल दुग्ध सी रोशनी में उमंग संग
व्योम,धरा आज उत्साहित रोशनी संग।
तारों ने रात की महफ़िल में आज ईद सजाई है
लगता है जैसे सबके लिए खुशियां आई है
मंद गति की बयार ने भी आज चाँद को सलामी दी हैं
प्रेम की शहनाई बजाई बादलों से चांद नजर आया है।
एक तो पूनम का चांद है एक ईद का भी
आज तन्हाई की रात न हो किसी की भी
आज के चाँद पर निछावर मेरी मुस्कान भी
और उधर पूनम का चांद ईद का चाँद भी।