शीर्षक:करवाचौथ
करवाचौथ का त्योहार….
प्रेम प्रीत का त्योहार भी प्रॉडक्ट हो गया
प्रेम बस भावनाओं तक सीमित नही रहा
आपका एक निजी मामला नहीं रह गया
उपभोक्तावाद के चक्कर में करवाचौथआ गया
बाज़ारवाद दौर में प्रेम भी सार्वजनिक हो गया
करवाचौथ का त्योहार….
अभिव्यक्ति रूप अब खुलेआम हो गया
प्रेम छुप कर करने वाली चीज नहीं रह गया
फेसबुक इंस्टाग्राम पर शेयर को रह गया
आज प्यार नहीं है जो निस्वार्थ होता आया
प्रेम भी बाजारवाद की बलि चढ़ गया
करवाचौथ का त्योहार….
मल्टीनेशनल कंपनियां बड़ी चालाक हो चली
प्रेम को महंगे उपहार देने की और ले चली
करोड़ों के विज्ञापनों से बात समझाने चली
अब अरबों कमाने में कामयाब हो गई चली
अपने पति से प्रेम करती हो समझाती चली
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद