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30 Jan 2024 · 1 min read

शीत

अब तो शीत में भी शीत की ठंडक नहीं होती
सर्द लहरे हैं कुहरा है मौसम है वही सब कुछ
मगर फिर भी शीत में शीत सी ठंडक नहीं होती
हाँ गर्म कपड़ों कंबल की जरूरत तो पड़ती है,
मगर फिर भी शीत में शीत सी ठंडक नहीं होती
कहीं महगाई की गर्मी कहीं दंगाई की गर्मी
कहीं भूख के आग की गर्मी कहीं बेगारी की गर्मी
कहीं दमा टीवी की खाँसी में छू हो जाती ठंडी
अब तो शीत में भी शीत की ठंडक नहीं होती
स्वरचित मौलिक रचना
M.Tiwari”Ayan”

Language: Hindi
164 Views
Books from Mahesh Tiwari 'Ayan'
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