शीत
अब तो शीत में भी शीत की ठंडक नहीं होती
सर्द लहरे हैं कुहरा है मौसम है वही सब कुछ
मगर फिर भी शीत में शीत सी ठंडक नहीं होती
हाँ गर्म कपड़ों कंबल की जरूरत तो पड़ती है,
मगर फिर भी शीत में शीत सी ठंडक नहीं होती
कहीं महगाई की गर्मी कहीं दंगाई की गर्मी
कहीं भूख के आग की गर्मी कहीं बेगारी की गर्मी
कहीं दमा टीवी की खाँसी में छू हो जाती ठंडी
अब तो शीत में भी शीत की ठंडक नहीं होती
स्वरचित मौलिक रचना
M.Tiwari”Ayan”