*शीत वसंत*
शीत के वसंत वो,
हवा के ठंडक जो ,
ओंसो का चादर हो ,
शीतों का बारीश करें।
शीतों के हवा के झोके ,
कन-कनाक के महसूस हो ।
पानी पीछे जो ,
झन-झनाक कर लगे ।
फूलों के बगीचे में ,
धूपों की कलियाँ खिले जब ।
आराम कर अनंद ले ,
राम का नाम ले ।