शीत लहर मे हाल
टूटी-फूटी झोपडी, ठण्डी का आघात !
कैसे कटे गरीब की,बिना रजाई रात !!
क्या होता है ठंड मे,.शीत लहर से हाल !
जिनके सर पर छत नही,उनसे करो सवाल !!
अकड गया पूरा बदन, किट-किट बाजे दांत !
मारे ठण्डी के सभी,..सिकु़ड गई हैं आंत !!
लगे ठिठुरने ठण्ड से ,मुम्बई की जब रात !
क्या होंगे फिर सोचिये ,दिल्ली के हालात !!
देख नजारा ठण्ड का ,चढ़ने लगा बुखार !
कैसे जाऊं गाँव मैं, करता यही विचार !!
थामा ज्यों ही ठण्ड ने,शीत लहर का हाथ !
काया को भाने लगा, कम्बल का त्यों साथ !!
एक हाथ में चाय है, दूजे में अखबार !
मीठी मीठी ठण्ड है, सर्दी का उपहार !!
ठंड भगाने का मुझे,..अच्छा लगा उपाय !
प्याला भर कर पीजिये,अदरक वाली चाय !!
रमेश शर्मा.