“शिष्ट लेखनी “
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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कवि की कल्पनाओं से
कोई कविता निकलती है
लिखे जाते हैं कागज पे
वही एक बात होती है
बड़ी शालिनताओं से
कवि कोई बात कहता है
समझते हैं सभी उनको
कोई संदेश होता है
जो बातें कह नहीं पाते
उसे कविता में लिखते हैं
व्यथा की वेदनाओं को हम
लिख- लिख बताते हैं
जो सत्तासीन हैं जग में
उसे संदेश देते हैं
करो तुम देश की सेवा
यही उपदेश देते हैं
कवि की लेखनी से ही
जिगर में जोश आता है
नये इतिहास को गढ़कर
नया एक रूप देता है
रहे बस ध्यान इतना ही
सदा शालिन रहना है
कहो सब बात ही अपनी
तुम्हें सिर्फ शिष्ट बनना है !!
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डॉ लक्ष्मण झा परिमल
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
18.03.2024