शिशु गीत
नया सूरज लायेंगे: क्षेत्रपाल शर्मा
आसमान तो बहुत दूर है,
चंदा भी है छिपा हुआ
हवा करे मेघों से छिछोरी
सूरज की हो गई रे चोरी।।
आर्द्र हो गया वातायन
इगलू जैसा मेरा घर
कंबल में सब दुबके बैठे
आग से कोई बात न कर।।
सुरभि, घिरी रहे घर
बाहर कोरोना का डर
चार दिनों से एसी ठंड
सूरज किसके घर बंद।।
गली, खेलने तब जाएंगे
एक नया, सूरज लाएंगे।।
पृष्ठभूमि:
मेरी चार साल की धेवती (बेटी की बेटी) है, यह उसी के साथ का वार्तालाप है। मैंने तो केवल उसके भावों को शब्दों के परिधान ओढा दिए। वह गली में खेलने के लिए जाने की जिद कर रही थी, मैंने इतनी सर्दी में बाहर न जाने की सलाह दी।