शिव हैं शोभायमान
** घनाक्षरी **
~~
शीश पर देखिए तो शोभित जटा सघन,
पर्वत कैलाश पर शिव है शोभायमान।
सांप लिपटे अनेक फुफकारते हुए हैं,
धारण किया है चर्म, खूब महिमा महान।
साथ डमरू है दिव्य हाथ में त्रिशूल थामे।
यक्ष देवता मनुष्य सब करें गुणगान।
महिमा का पार नहीं भक्त इन्हें अति प्रिय,
करते प्रदान नित्य सबको ये वरदान।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि.प्र.)