*शिव स्वरूप*
शिव आदि हैं अनंत हैं।
शिव प्रेम का बसंत हैं।
शिव मोक्ष का आकाश हैं।
शिव निरंकार प्रकाश हैं।
शिव मोह हैं वैराग्य भी।
शिव क्रोध हैं संहार भी।
शिव शेष हैं विशेष हैं।
शिव आत्म का प्रवेश हैं।
शिव एक भी विवेक भी।
शिव नेक भी अनेक भी।
शिव प्रिय हैं प्रियतम भी।
शिव संत हैं सनातन भी।
शिव आनंद मय स्वतंत्र हैं।
शिव ही जीवन का मंत्र हैं।
शिव मन विरले सरल साकार।
शिव ही प्रलय का हैं आधार।
शिव गौरी शंकर आदि पुरुष।
शिव अर्द्ध नारीश्वर प्रेम स्वरूप।
शिव एकांत प्रिय भोले भंडारी।
शिव नील वर्ण हलाहल विषधारी।
शिव सृष्टि हैं सृष्टा भी शिव।
शिव दृष्टि हैं दृष्टा भी शिव।
शिव ध्यान मग्न कैलाशपति।
शिव शब्द अर्थ सर्वज्ञ प्रतीक।
शिव शम्भू हैं भोले नाथ हैं।
शिव मन साधक विश्वनाथ हैं।
शिव आस हैं विश्वास भी।
शिव शव हैं और श्वास भी।
शिव अजर अमर और अविनाशी।
शिव प्रखर प्रवर बसते काशी।
शिव भाग्य हैं सौभाग्य हैं।
शिव नाम में ही अनुराग है।
शिव नेह और स्नेह हैं।
शिव प्राण हैं जो प्रमेय है।
शिव सिद्धहस्त शिव दिव्य शक्ति।
शिव यत्र तत्र शिव ही भक्ति।
शिव हैं सर्वत्र शिव शिवशक्ति।।
शिव ही सर्वत्र शिव शिवशक्ति।।
✍️प्रियंक उपाध्याय