शिव स्तुति
हे आशुतोष सब मंगल कर
जीवन मे न दंगल कर।
तेरी पूजा में कौर कसर।
हो जाती है गौर न कर।
है आशुतोष सब मंगल कर।
तू शक्ति स्वामी, शिव शंकर ,
तू अवढरदानी,तू प्रलयंकर।
हे महाकालेश्वर,है ओंकारेश्वर,
तू वैधनाथ तू भीमाशंकर,
हे सोमनाथ ,सब मंगल कर,
तू आदि देव है डमरूधर ,
हे महादेव तू गौरी शंकर,
तू शशि शेखर ,मृत्युंजय,
मुझ पर थोड़ा ध्यान तो धर,
हे त्रयम्बकेश्वर ,मंगलकर।
मल्लिकार्जुन ,अमर नाथ,
हे त्रिनेत्रधारी, रामेश्वर,
हे जगताधार ,हे करुणाकर
हे भूतनाथ ,हे कापालिक,
हालत में मेरी सुधारकर।
हे आशुतोष सब मंगल कर।
हे नटराजन, हे नागेश्वर ,
हे अम्बिकानाथ ,हे ईश्वर,
हे पशुपतिनाथ,हे कामारी,
हे शम्भूनाथ ,हे भोलेश्वर ,
कब तक भटकूँ इधर उधर।
हे आशुतोष अब मंगल कर।
हे नीलकंठ ,हे गंगाधर।
हे पिनाकी,तू हे विश्वेसर।
हे वीरभद्र कैलाशपति,
हे शितिकंठ ,हे अनन्तकर,
हे दयालुशंकर दया तो कर
हे आशुतोष सब मंगल कर।
हे जटाधारी ,विष्णुवल्लभ,
हे भव हे अज, कठोर तारक,
हे वर्षांग ,हे सामपिय,
हे गिरीश गिरजाशंकर ,
हे तमाधिपति ,तामस हर
हे आशुतोष सब मंगल कर।
हे कृपानिघि हे शूलपाणि,
हे कैलासवासी, दिगमम्बर
हे खण्ड परसु,खटवांगी तू
हे परमात्मा हे ललाटाक,
हे रुद्र ,गणनाथ दया तू कर
हे आशुतोष सब मंगल कर।
कलम घिसाई
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