शिव शंकर तुम् हो मेरे प्यारे सखा।
शिव शंकर तुम् हो मेरे प्यारे सखा,
तुम सा दयालु कोई और न दिखा।
काँटे बिछे हो चाहें पग पग पर,
जीवन की हो टेड़ी मेड़ी डगर,
हाथ पकड़ लिया मेरा तुमने
मुझे हर ठोकर से बचाकर रखा।
शिव शंकर तुम हो मेरे प्यारे सखा,
तुम सा दयालु कोई और न दिखा।।
रात अमावस,काली घटा थी,
सहमी सहमी, सी मैं खड़ी थी,
शिवनाम का दीप जलाया तब,
अंधेरों से लड़ना मैंने सीखा।
शिव शंकर तुम् हो मेरे प्यारे सखा,
तुम सा दयालु कोई और न दिखा।
सिर पर मेरे रहा हरदम तेरा हाथ,
बच्चों को भी दे देना अपना साथ,
खुशियों से महके सदा जीवन उनका,
उन्नति-उत्कर्ष की प्रज्वलित रहे दीपशिखा।
शिव शंकर तुम् हो मेरे प्यारे सखा,
तुम सा दयालु कोई और न दिखा।
By:Dr Swati Gupta