शिव – दीपक नीलपदम्
तुम लाख छुपाओ बात मगर,
कल सबको पता चल जाएगा,
पत्ता, पत्थर, पानी, कंकड़,
चीख़ चीख़ बतलायेगा ।
यह डर जो तुम्हारे दिल में है,
सब पता सरे-महफ़िल में है,
खुलने वाला है ये राज अभी,
जो राज अभी पर्दे में है।
दिन दूर नहीं जबकि होगा,
अंधेरे को सूरज होगा,
शिव का डमरू बज जाएगा,
तब आशीष हर जन पाएगा ।
(c)@ दीपक कुमार श्रीवास्तव ” नील पदम् “