शिवाजी
१६६४ को मुगल अधीन भारत में, यों ऐसा कार्य भी नेक हुआ था।
जिस रोज़ मराठा साम्राज्य में, शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ था।
वे शस्त्र के संग में जानते थे, तैराकी, निशानेबाजी और घुड़सवारी।
शास्त्रीय संगीत, साहित्य सृजन और साथ में मनमोहक चित्रकारी।
पिता से पाया अटल संयम व माता ने दिलाई राजनीति की शिक्षा।
यूॅं मराठा वंश के आगमन से, पूरी हो गयी भारत देश की प्रतीक्षा।
एक संरक्षिका ने पुत्र में भरे सारे गुण, यूं बनकर माता जीजाबाई।
शस्त्र-शास्त्र दोनों सहस्त्र दिए, रगों में स्वराज्य की ज्योति जगाई।
मुगलों में छाया सत्ता का नशा, पूर्ण भारत को हड़पने का लोभ।
शिवा की धमक से उड़ी चमक, उन सभी में भरने लगा विक्षोभ।
शिवाजी को कभी हरा न सका, कपटी, क्रूर, कायर औरंगज़ेब।
मुग़ल साम्राज्य की नींव हिली, दम्भ को बंद किया अपनी जेब।
मुगलों के समस्त प्रहारों का, शिवाजी देते गए मुंहतोड़ जबाव।
उनका अतुल्य साहस देखकर, नतमस्तक हो गए सभी नवाब।
अंतिम श्वास तक शत्रु से लड़े, प्रतापी मराठा शिवाजी भोंसले।
इनके तेज से प्रत्यक्ष दिख जाते, अखण्ड भारतवर्ष के हौंसले।
साहस, शौर्य व स्वाभिमान का, जो स्वरूप दिखा शिवाजी में।
बाद में, वही छवि उजागर हुई, उनके तेजस्वी पुत्र संभाजी में।
“तुझसे नया युग उदय होगा”, साक्षात भवानी ने यह कहा था।
शिवाजी जैसा साहस पाकर, पूर्ण रूप से सशक्त हुए मराठा।